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सारा आकाश पटकथ�

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‘सार� आकाश� की ट्रेजडी किसी सन, सम� या व्यक्त�-विशे� की ट्रेजडी नही�, खु� चुना� � कर सकने की, दो अपरिचि� व्यक्तियों को एक स्थिति मे� झोंककर भाग्� को सराहने या कोसन� की ट्रेजडी है, संयुक्� परिवार मे� जब तक यह ‘चुनाव� नही� है, सँकरी और गन्दी गलियों की खिडकियों के पीछे लडकिया� ‘सार� आकाश� देखती रहेंगी; लड़क� दफ्तरो�, पार्को� और सड़कों पर भटकत� रहेंगे, ‘एकान्� आसमान� को गवाह बनाक� अपने आपसे लड़त� रहेंगे, दो नितान्� अकेलों की यह कहानी तब तक सच है, जब तक उनके बी� का सम� रू� गय� है !
इन कु� बातो� पर सहमत हो जाने के बा� कहानी को पूरी तर� बासु के हाथो� मे� छोड़ देने मे� मुझे को� अड़च� नही� रही; ट्रांजिस्ट� और विवि�-भारती मुझे बिलकुल भी नही� खटके, फोटो खिंचवाना, फिल्� जाना या बालो� के पि� को लेकर बासु ने भी �

166 pages, Kindle Edition

Published January 1, 2007

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About the author

Rajendra Yadav

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राजेन्द्� यादव हिन्दी के सुपरिचित लेखक, कहानीका�, उपन्यासकार � आलोच� होने के सा�-सा� हिन्दी के सर्वाधिक लोकप्रिय संपादक भी थे� नयी कहानी के ना� से हिन्दी साहित्� मे� उन्होंने एक नयी विधा का सूत्रपात किया� उपन्यासकार मुंशी प्रेमचन्� द्वारा सन� 1930 मे� स्थापि� साहित्यि� पत्रिक� हं� का पुनर्प्रकाशन उन्होंने प्रेमचन्� की जयन्ती के दि� 31 जुला� 1986 को प्रारम्भ किया था� यह पत्रिक� सन� 1953 मे� बन्द हो गयी थी� इसके प्रकाश� का दायित्� उन्होंने स्वय� लिया और अपने मरते दम तक पूरे 27 वर्ष निभाया�

28 अगस्� 1929 ई० को उत्त� प्रदेश के शह� आगरा मे� जन्म� राजेन्द्� यादव ने 1951 ई० मे� आगरा विश्वविद्याल� से एम०ए� की परीक्षा हिन्दी साहित्� मे� प्रथ� श्रेणी मे� प्रथ� स्था� के सा� उत्तीर्� की� उनका विवा� सुपरिचित हिन्दी लेखिका मन्न� भण्डारी के सा� हु� था� वे हिन्दी साहित्� की सुप्रसिद्ध हं� पत्रिक� के सम्पाद� थे�

हिन्दी अकादमी, दिल्ली द्वारा राजेन्द्� यादव को उनके समग्� लेखन के लिये वर्ष 2003-04 का सर्वोच्च सम्मान (शलाक� सम्मान) प्रदान किया गय� था�

28 अक्टूब� 2013 की रात्रि को नई दिल्ली मे� 84 वर्ष की आय� मे� उनका निधन हुआ।

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Profile Image for Arvind Yadav.
17 reviews
April 24, 2023
आश्वास� तो यह है कि सम्पूर्ण दुनिया और सारा आकाश तुम्हारे सामन� है और खुला है-सिर्� तुम्हारे भीतर इस� जीतन� और नापन� का संकल्प हो...
मग� असलियत तो ये है कि हर पांव मे� बेड़ियां है� और हर दरवाजा बं� है�
सारा आकाश(राजेन्द्� यादव)
192 reviews
April 30, 2024
nice novel.. about a lower middle class family trapped in low income, social boundings , high number of family memebers etc. written in 1951 but still very relevant especially about arranged marriage or joint family system
Displaying 1 - 2 of 2 reviews

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