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Piyush Mishra
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Book title: Tumhari Auqat Kya Hai Piyush Mishra
ISBN: 9789395737838
Piyush Mishra
Publication year: 2023
Pages: 248
Language: Hindi
Publisher: Rajkamal Prakashan
Description: पीयू� मिश्रा जब मं� पर होते है� तो वहाँ उनके अलाव� सिर्फ़ उनका आवेग दिखत� है� जि� लोगो� ने उन्हें मंडी हाउस मे� एक� करते देखा है, वे ऊर्ज� के उस वल� को आज भी उसी तर� गतिमान दे� पाते होंगे। अपने गी�, अपने संगी�, अपनी दे� और अपनी कल� मे� आकंठ एकमे� एक सम्पूर्ण अभिनेत�! अब वे फिल्मे� कर रह� है�, गी� लि� रह� है�, संगी� रच रह� है�; और यह उनकी आत्मकथ� है जिसे उन्होंने उपन्या� की तर्ज पर लिखा है� और लिखा नही�; जैसे शब्दों को चित्रो� के रू� मे� आँका है� इसमे� सब कु� उतना ही ‘परफ़ेक्ट� है जितन� बतौर अभिनेत� वे स्वयं। � अतिरिक्त को� शब्द, � को� ऐस� वाक्� जो उस दृश्� को और सजी� � करता हो�
मध्य प्रदेश के ग्वालियर मे� एक ‘अनयूजुअल’—स� परिवार मे� जन्म� एक बच्च� चर�-दर-चर� अपने भीतर छिपी असाधारणत� का अन्वेष� करता है; और क़स्बा� मध्यवर्गीयत� की कुंठित और करुण बाधाओं को पा� करते हु� धीरे-धीरे अपने भीतर के कलाकार के सामन� � खड़� होता है� अपने आत्म के सम्मुख जिसस� उस� ताज़िन्दगी जूझन� है; अपने उन डरों के समक्� जिनस� डरना उतना ज़रूरी नही�, जितन� उन्हें समझन� है� इस आत्मकथात्म� उपन्या� का नायक हैमलेट, यानी संता� त्रिवेदी यानी पीयू� मिश्रा यह का� अपनी ख़ुद की कीमत पर करता है�
यह आत्मकथ� जितनी बाहर की कहानी बताती है—ग्वालिय�, दिल्ली, एनएसडी, मुम्बई, साथी कलाकारों आद� की—उसस� ज़्यादा भीतर की कहानी बताती है, जिसे ऐसी गोचर दृश्यावली मे� पिरोया गय� जो कभी-कभी ही हो पाता है� इसमे� हम दिल्ली के थिएट� जग�, राष्ट्री� नाट्� विद्यालय और मुम्बई की फ़िल्मी दुनिया के कई सुखद-दुखद पहलुओं को देखत� है�; एक अभिनेत� के निर्मा� की आन्तरि� यात्रा को भी� और एक संवेदनशी� रचनात्मक मानस के भटकावो�-विचलनो�-आशंकाओ� को भी� लेकि� सबसे बड़ी उपलब्ध� इस किता� की इसका गद्य है� पीयू� मिश्रा की कह� यहाँ अपने उरूज़ पर है� पठनीयत� के लगातार संकर� होते हिन्दी परिस� मे� यह गद्य खिली धू�-सा महसू� होता हैै।