Dharamvir Bharati
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गुनाहो� का देवत�
by
26 editions
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published
1949
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सूरज का सातवाँ घोड़�
by
18 editions
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published
1952
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Andha Yug
by
13 editions
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published
1954
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कनुप्रिय�
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बन्द गली का आख़िरी मकान
by
—
published
1969
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धर्मवी� भारती की लोकप्रिय कहानियाँ
by
3 editions
—
published
2016
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ठेले पर हिमालय�
by
—
published
1968
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नदी प्यासी थी
by
—
published
1954
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कु� लम्बी कवितायेँ
by
—
published
1998
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ठंडा लोहा तथ� अन्य कविताए�
by |
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“बड़ी फीकी, बड़ी बेजा�, बड़ी बनावटी लगती है� ये कविताए�, मन के दर्द के आग� सभी फीकी हैं।”
― गुनाहो� का देवत�
― गुनाहो� का देवत�
“बादशाहों की मुअत्त� ख्वाबगाहों मे� कहाँ
वह मज� जो भीगी-भीगी घा� पर सोने मे� है,
मुतमइन बेफिक्� लोगो� की हँसी मे� भी कहाँ
लुत्फ़ जो एक-दूसर� को दे� कर रोने मे� है�”
― गुनाहो� का देवत�
वह मज� जो भीगी-भीगी घा� पर सोने मे� है,
मुतमइन बेफिक्� लोगो� की हँसी मे� भी कहाँ
लुत्फ़ जो एक-दूसर� को दे� कर रोने मे� है�”
― गुनाहो� का देवत�
“गंगा की लहरो� मे� बहता हु� रा� का साँप टू�-फूटक� बिखर चुका था और नदी फि� उसी तर� बहने लगी थी जैसे कभी कु� हु� ही � हो।�”
― गुनाहो� का देवत�
― गुनाहो� का देवत�
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